बचनपन से सुनते आये हैं, पैसा पैसे को खींचता है, हम भी यही मान कर 1 रूपये को 10 में और 10 को 100 में बढाने के चक्कर में रहे थे और पता चलता था की म्हारा 10 रुपया भी चला गया,,,,पैसा पैसे को खींचता है ये आधी बात है पूरी बात इस को इस प्रकार समझा जा सकता है ===एक राज्य में एक गुरु जी का आश्रम था , गुरु जी के द्वार दी गई शिक्षा को प्राप्त शिष्य संसार में ख्याति को प्राप्त होते थे, एक दिन राज्य में रहने वाले एक चोर ने सोचा क्यूँ न में भी गुरु जी की शिक्षा के कुछ शब्द सुन लूँ ,, और वो गुरु जी की कुटिया के दरवाजे में कान लगा कर गुरु जी द्वार दी जा रही शिक्षा सुनने लगा, गुरु जी कह रहे थे की पैसा पैसे को खींचता है, बस इतनी सी बात सुनकर चोर ने सोच गुरु जी द्वारा दी गयी शिक्षा कभी झूटी नहीं होती क्यूँ न में एक बार राजा के खजाने को अपने पास पड़ी अठन्नी से खिंच लूँ ...बस चोर राजा के खजाने में पंहुच गया और अठन्नी को खजाने के सामने दिखा कर कहने लगा आ ,,,आ ,,आ, और इतने में ही उसकी अठन्नी नीच गिर गयी ,,,,अठन्नी की आवाज से राजा के सिपाही आ गए और चोर को पकड़ कर राजा के पास ले गए ,,,राजा ने चोर से पूछा की तूने चोरी की है ....चोर बोला सारी जिंदगी तो चोरी करतार रहा कभी ऐसी नोबत नहीं आयी ..अच्छा गुरु जी की उपदेश का पालन किया ....राजा ने ये सुनकर गुरु जी को बुलवा लिया और पूछा की तूने ऐसी शिक्षा दी है ,,,,, गुरु जी ने सारी बात चोर से सुनी और फिर राजा को कहा की में तो सही कहा था पर इस चोर ने ही पूरी बात नहीं सुनी ...,मैंने तो कहा था की ....पैसा पैसे को खींचता है परन्तु हमेशा ज्यादा पैसा कम पैसे को अपनी तरफ खींच लेता है ...बस यही बात हम पर भी लागू होती है हम लोग अपनी छोटी सी पूंजी से इस शेयर बाजार के खाजने को दिखा कर कहते हैं की आ जा ..आ जा ...आ जा ....पर इस प्रयास में म्हारी छोटी सी पूंजी भी इस बाजार के खजाने में छन से चली जाती है और हम देखते ही रह जाते ....क्यूँ दोस्तों मैंने सही कहा न ....