18 लाख करोड़ का है इस बार का बजट !
वैसे तो 1794892 (17 लाख 94 हजार 892) करोड़ का है
लेकिन हम मोटा-मोटा 18 लाख करोड़ मान लेते है
लेकिन ये बजट होता क्या है ??
आखिर क्या अर्थ है इस 18 लाख करोड़ रूपये का ??
तो मित्रो साधारण व्यक्ति की भाषा मे समझो बजट को !
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आपका परिवार है परिवार चलाने वाले मुख्या को महीने की पहली तारीक को पगार मिलती
फिर वो तय करता है की इसे कहाँ-कहाँ और कितना कितना खर्च करना है !
ऐसे ही देश भी एक परिवार है देश चलाने वाली केंद्र सरकार को आम जनता tax के रूप मे पैसा देती है जिससे सरकार बजट बनाती है ! और तय करती है इसे कहाँ-कहाँ और कितना कितना धन खर्च करना है !
सामान्य रूप से देश मे 28 फरवरी को केंद्र सरकार द्वारा बजट पेश किया जाता परंतु इस बार चुनाव होने के कारण नई सरकार ने जुलाई मे बजट पेश किया है !
तो बजट है 18 लाख करोड़ का !
तो आप ऐसा समझ लीजिये की 28 फरवरी 2014 से अगले वर्ष 27 फरवरी 2015
तक ( एक वर्ष मे ) भारत की केंद्र सरकार देश मे 18 लाख करोड़ रूपये खर्च करेगी !
अगर 18 लाख करोड़ सरकार खर्च करेगी ,तो हम पहले ये जान ले की ये
18 लाख करोड़ सरकार ने कहाँ से जुटाया ??
तो मित्रो 18 लाख करोड़ मे से 1189763 ( 11 लाख 89 हजार 763 )
रूपये इस देश की जनता ने सरकार को tax दिया है !!
tax थोड़ा विस्तार से जान लीजिये ! (आंखड़े करोड़ मे )
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निगम कर -( Corporation Tax )---------> 451005 करोड़
आय कर - ( Taxes on Income )--------> 284266 करोड़
धन कर ( Wealth Tax)----------------> 950 करोड़
सीमा शुल्क ( Customs )-----------------> 201819 करोड़
केंद्रीय उत्पाद ( Union Excise Duties ) ----> 207110 करोड़
शुल्क
सेवा कर (Service Tax) -----------------> 215973 करोड़
संघ राज्य क्षेत्रों के कर ( Taxes of union )-----> 3401 करोड़
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तो ये कुल सकल कर (Gross Tax Revenue )= 13,64,524 करोड़
फिर इसमे राष्ट्रीय आपदा (NCCD ) घटा दिया जाता है --> 5050 - करोड़
और फिर थोड़ा राज्यो का हिस्सा घटाया जाता है ---------->382216 _करोड़
और अंत भिन्न कर जोड़ा जात है------------------------> + 212505 करोड़
और अंत कुल घटा कर और जोड़ कर सरकार के पास पहुंचा 1189763 करोड़ !
तो 18 लाख करोड़ मे से 1189763 ( 11 लाख 89 हजार 763 )
तो सरकार ने जनता से tax से जुटाया !
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इसके अतिरिक्त सरकार सरकारी उदमों को कुछ कर्ज देती है .उसकी वसूली करती है
जो Non-debt Receipts मे आता है तो वहाँ से आया है = 73,952 करोड़ !
तो मित्रो tax का हो गया 1189763 ( 11 लाख 89 हजार 763 ) करोड़
और उसमे आप Non-debt Receipts जोड़ लीजिये 73952 करोड़ !
तो कुल सरकार ने धन जुटाया 12,63,715 करोड़ !! जिसमे जनता ने tax दिया है
( 11 लाख 89 हजार 763 ) करोड़ !
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लेकिन क्या आप जानते है? सरकार ने 12,19,892 ( 12 लाख 19 हजार 892) करोड़
रूपये Non-Plan Expenditure ( आयोजना भिन्न व्यय ) पर खर्च कर दिया ?
अर्थात आपका लगभग सारा tax का पैसा तो Non-Plan Expenditure
मे ही खर्च हो गया
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ये Non-Plan Expenditure क्या होता है ???
Non-Plan Expenditure अर्थात व्यवस्था (system ) को चलाने का
खर्चा ?
कैसी व्यवस्था ?
पुलिस की व्यवस्था ,सेना की व्यवस्था कानून की व्यवस्था ,न्याय की व्यवस्था ,प्रशासन की व्यवस्था ,संसद की व्यवस्था , 543 MP की पगारे ,प्रधानमंत्री राष्ट्रपति ,उप राष्ट्रपतियों की पगारे,उनके महंगाई भत्ते ,सुरक्षा के खर्चे ,फोन के बिल ,हवाई जहाज के खर्चे ,अस्तपातालों के खर्चे , विदेशी यात्राओ के खर्चे , बिजली के बिल ,
(पिछले कर्जे के लिए व्याज पर खर्चा) , सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र बैंको मे काम करने वाले ,बीमा कंपनियो मे काम करने वाले ,डाक विभाग मे काम करने वाले ,आयकर विभाग मे काम करने उनकी मोटी-मोटी पगारे ,ऐसे अन्य public sector ! साल मे दो बार बढ़ता महंगाई भत्ता ,रिटायर्ड कर्मचरियों की पैनश्नों मे हर साल वृद्धि !!
और तो और सरकारी कर्मचारी तो 60 साल की आयु मे रिटायर्ड होता ! जबकि मंत्री एक बार चुनाव लड़े जीत जाए अगली बार लड़े हार जाए ,तो उसकी पेंशन लग जाती है सारी ज़िंदगी की ! चाहे कभी दुबारा चुनाव लड़े ना लड़े ! सरकार के खजाने से मुंह मारता रहते है वे नेता !
तो मित्रो आप समझ लीजिये इस देश की दुर्दशा की आपके द्वारा सारा साल
मे दिया गया direct tax और सुबह से शाम तक आप जो कुछ भी खरीदते
उसके माध्यम से दिया गया indirect tax जो की कुल ( 11 लाख 89 हजार 763 )
करोड़ है उससे भी 30 हजार करोड़ ज्यादा ( 12 लाख 19 हजार 892)
ज्यादा सरकार ने तो Non-Plan Expenditure अर्थात व्यवस्था (system ) को चलाने
मे खर्च कर डाला !
आपके लिए देश के विकास के लिए तो सरकार के पास फूटी-कोड़ी भी नहीं है ??
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तो मित्रो अब आपके मन मे ये सवाल आएगा की बजट मे जो इतनी सारी घोषनाए हुई है
जो मीडिया मे भी दिखाई गई है की 100 करोड़ यहाँ खर्च होंगे,200 करोड़ वहाँ खर्च होंगे
500 crore यहाँ होंगे ,900 करोड़ वहाँ खर्च होंगे तो ये सब क्या है ??
तो इसके बारे मे भी आराम से जान लीजिये मित्रो ये क्या है ?
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जैसा की आप जानते है की कुल बजट है 18 लाख करोड़ का है !
वैसे तो 17,94,892 (17 लाख 94 हजार 892 ) करोड़ का है
जिसमे से 1189763 ( 11 लाख 89 हजार 763 ) तो सरकार ने जनता से tax से जुटाया ! इसके अतिरिक्त Non-debt Receipts से जो आया था = 73,952 करोड़
दोनों को जोड़ के तो कुल सरकार ने जो धन जुटाया वो
1263715 (12 लाख 63 हजार 715 ) करोड़ है !!
लेकिन बजट मे सरकार को जो खर्च करना है वो है
17,94,892 (17 लाख 94 हजार 892 ) करोड़ !
सरकार ने कुल जुटाया 1263715 (12 लाख 63 हजार 715 ) करोड़
वो लगभग सबका सब Non-Plan Expenditure अर्थात व्यवस्था (system ) को चलाने
मे खर्च कर डाला !
तो
17,94,892 (17 लाख 94 हजार 892 ) करोड़ मे से
1263715 (12 लाख 63 हजार 715 ) करोड़ घटा दीजिये
तो बाकी 531177 ( 5 लाख 31 हजार 177 ) करोड़ कहाँ से आया ??
तो ये मित्रो 531177 ( 5 लाख 31 हजार 177 ) करोड़ सरकार ने
नया कर्ज लिया है !!
जी हाँ पूरे 531177 ( 5 लाख 31 हजार 177 ) करोड़ कर्ज !!
और आपकी जानकारी के लिए कह दूँ हमारा देश पहले ही 55 लाख करोड़ के कर्जे मे
डूबा हुआ है इस बार 531177 ( 5 लाख 31 हजार 177 ) करोड़ का नया कर्ज
लेने से देश पर कुल कर्ज 60 लाख करोड़ को पार कर गया है !!
इस कर्ज को 60 लाख करोड़ के कर्ज को 120 करोड़ की जनता मे
बांटे तो प्रति व्यक्ति 50000 रूपये कर्ज हो गया है जो आपको चुकाना है
आपकी आने वाली पीढ़ियो को चुकाना है !
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मुझे आशा है अब आपको सारी बात समझ मे आ गई होगी !
की बजट मे कुल खर्चा सरकार को करना है वो है !
17,94,892 (17 लाख 94 हजार 892 ) करोड़ !
सरकार ने जो कुल धन जुटाया था वो था 1263715 (12 लाख 63 हजार 715 ) करोड़
जो लगभग Non-Plan Expenditure अर्थात व्यवस्था (system ) को चलाने
मे ही खर्च कर डाला !
विकास के लिए फूटी-कोडी नहीं बची तो उसके लिए 531177 ( 5 लाख 31 हजार 177 ) करोड़ कर्ज ले लिया !
और ऐसे बन गया 17,94,892 (17 लाख 94 हजार 892 ) करोड़ का बजट !
अर्थात मोटा मोटा 18 लाख करोड़ का बजट !
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और मित्रो अब जो मैं बात लिखने जा रहा हूँ शायद पढ़ते ही आपके
रोंगटे खड़े हो जाए और हो सकता है पहली बार मे आप विश्वास ही ना कर पाये !
तो मित्रो जैसा की मैंने ऊपर बताया 17,94,892 (17 लाख 94 हजार 892 ) करोड़ के
खर्चो को पूरा करने के लिए सरकार ने 531177 ( 5 लाख 31 हजार 177 ) करोड़
नया कर्ज तो ले लिया लेकिन पुराना जो 55 लाख करोड़ कर्ज है तो उसका व्याज भी तो भरना है ??
तो मित्रो इस बार के बजट मे जो सबसे अधिक धन खर्च हुआ है
वो पिछले कर्जे का ब्याज भरने मे खर्च हुआ है ??
जैसे की आपने ऊपर पढ़ा की Non-Plan Expenditure मे पिछले कर्जे का ब्याज भी
आता है तो मित्रो इस बार सरकार ने आपके मेरे tax का 4,27,011 ( 4 लाख 27 हजार करोड़ ) तो पिछले कर्जे का ब्याज भरने मे खर्च कर दिया !!
सिर्फ ब्याज भरने मे 427011 ( 4 लाख 27 हजार करोड़ ) !
अर्थात मूलधन वही का वही खड़ा है और 427011 ( 4 लाख 27 हजार करोड़ )
ब्याज मे चला गया !
और 531177 ( 5 लाख 31 हजार 177 ) करोड़ का नया कर्ज ले लिया !!
देश किस विकास की और बढ़ रहा है आप खुद अनुमान लगाइए मित्रो !!
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427011 ( 4 लाख 27 हजार करोड़ ) एक वर्ष का ब्याज भरना
आप इसका अर्थ समझते हैं मित्रो ??
427011 करोड़ को 12 से भाग (divide) करिये
तो जवाब आएगा 35584 करोड़ ( 35 हजार 584 करोड़ ) एक महीने का ब्याज !
एक महीने मे 30 दिन !
अब इस 35584 करोड़ ( 35 हजार 584 करोड़ ) 30 से भाग (divide) करिये !
तो आ जाएगा 1186 करोड़ ब्याज (एक दिन का ब्याज) !
अब इस 1186 करोड़ को 24 से से भाग (divide) कर दी जिये
तो आएगा 49 करोड़ (एक घंटे का ब्याज )!
एक घंटे मे 60 मिनट ! तो कर दीजिये 49 करोड़ को 60 से भाग (divide) !!
तो आ जाएगा 81,66,666 ( 81 लाख रूपये एक मिनट का ब्याज ) !
एक मिनट मे 60 सेकेंड ! तो कर दी जिये 81 लाख को 60 से फिर भाग (divide) !
तो आ जाएगा 135000 ( 1 लाख 35 हजार रूपये ) 1 सेकेंड का ब्याज !
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सोचिए मित्रो सोचिए !जो देश प्रति सेकेंड 1 लाख 35 हजार रूपये का पुराने कर्जे का ब्याज भर रहा है वो किस विकास की और बढ़ रहा है ??
गंभीरता से सोचिए ! क्यों बिना कुछ जाने आप सरकारो की अंधभक्ति करने मे लगे है !
क्योंकि आपके लिए देश पीछे छूट गया है ? और सरकारे और नेता आपके लिए बड़े हो गए हैं
क्यों कल तक जो चीज आपको विनाश दिखती थी आज आपको विकास दिख रही है ??
आप सब जानते है की आप मे से बहुत से लोगो को बजट का अर्थ तक नहीं मालूम
तो फिर क्यों मात्र मीडिया मे दिखाई योजनाओ को ही बजट समझते है ??
और क्यों सिर्फ उन योजनाओ की घोषणाओ का ही गुणगान करते जा रहे है ???
जबकि वास्तविकता मे कुछ भी नहीं बदला है !
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अगर आप पिछले 2 मिनट से मेरी ये post पढ़ रहे तो समझ लीजिये
प्रति मिनट 81 लाख रूपये ब्याज के हिसाब से 1 लाख 62 हजार रूपये तो
पिछले कर्जे के ब्याज मे चला गया
किस भारत मे जी रहे है हम कल्पना करिए ?
क्यों इस देश की सरकारे विनाश को विकास बता रही है ?
गंभीरता से विचार करिये मित्रो गंभीरता से !!
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अब जो 531177 ( 5 लाख 31 हजार 177 ) करोड़ का नया कर्ज लेकर विकास
की योजनाओ की घोषणा हुई है उसमे भी देश को क्या मिलने वाला आपको एक उदाहरण से स्पष्ट कर देता हूँ !!
देश की कुल आबादी 120 करोड़ है जिसमे 52 % संख्या किसानो की है !
अर्थात आधी आबादी 62 करोड़ देश मे किसान है खेती से जुड़े है !!
इस बजट मे Agriculture and Allied Activities ( कृषि और सम्बद्ध क्रियाकलापों )
के लिए मात्र 11531 करोड़ रूपये रखे गए है !!
अर्थात 62 करोड़ किसानो के लिए 11531 करोड़ रूपये !
11531 करोड़ को 62 करोड़ किसानो मे बांटो !
अर्थात 185 रूपये प्रति किसान सरकार बजट मे से खर्च करेगी वो भी एक वर्ष मे !!
वैसे तो 11531 करोड़ मे सरकार द्वारा बजट मे लिए गए कर्जे के ही है !!
तो सोचिए मित्रो मात्र 185 रूपये प्रति वर्ष एक किसान के लिए
और वो भी तब अगर बिना किसी भ्रष्टाचार के खर्च किए जाए !!
एक वर्ष मे मात्र 185 रूपये एक किसान के ऊपर खर्च करके सरकार किसानो की
क्या हालत सुधारेगी किसानो का क्या विकास करेगी !
आप कल्पना कर सकते हैं मित्रो
जो किसान पूरे देश का पेट भरता है वो खुद भूख से मरता है
आत्मह्त्या करता है !
जिसके घर की छत टपकती है वो खुद बारिश का इंतजार करता है !!
ऐसी ही सरकार ने सिंचाई (Irrigation and Flood Control )की व्यवस्था के लिए
1797 करोड़ खर्च करेगी !!
बजट से पहले आर्थिक सर्वेक्ष्ण की रिपोर्ट का एक हिस्सा पढ़िये !!
देश 12 करोड़ हेकटियर ऐसी जमीन है जहां अभी खेती होती है 2007 तक ये
17 करोड़ हेकटियर थी !
तो आप कहेंगे 5 करोड़ हेकटियर कृषि जमीन कहाँ गई ??
ये 5 करोड़ हेकटियर जमीन सरकार ने SEZ ( special economic zone )
नाम पर बड़ी- बड़ी कंपनियो को देदी ! और कुछ यूरिया ,DAP डालने से बिलकुल
बंजर हो गई ! अब 12 करोड़ हेकटियर जमीन ही बची है कृषि के लिए !
उसमे से मात्र 5 करोड़ हेकटियर जमीन पर ही सिंचाई की व्यवस्था है !
बाकी 7 करोड़ हेकटियर आधी से अधिक जमीन पर खेती सिर्फ भगवान भरोसे है
अर्थात बारिश हो गई तो फसल आ जाएगी ,बारिश नहीं होगी तो फसल मर जाएगी !!
और अगर एक महीना देरी से बारिश हुई तो बीज जो खेत मे डाला हुआ है पूरी तरह खराब हो जाएगा तो ऐसे हालत है देश मे सिंचाई की !!
ऐसे मे सरकार ने मात्र 1797 करोड़ रूपये सिंचाई के लिए रखे !
अर्थात प्रति किसान 28 रूपये प्रति वर्ष सिंचाई के लिए सरकार खर्च करेगी !!
आप खुद अनुमान लगा लीजिये मात्र 28 रूपये प्रति वर्ष एक किसान के खेत मे सरकार
क्या सिंचाई की व्यवस्था कर पाएगी ?? क्या उसका विकास कर पाएगी !!
हर वर्ष 1 करोड़ 80 लाख नये बच्चे देश मे जन्म ले रहे है एक देश है उसका नाम है नीदरलैंड उसकी आबादी 1 करोड़ 70 लाख है अर्थात हर वर्ष 1 नीदरलैंड हमारे बीच जुड़ जाता है !
1 करोड़ 80 लाख ने नये मुंह रोटी के लिए खुल जाते है इस देश मे ! ऐसे मे आज हम
बजट मे किसानो के लिए कृषि की व्यवस्था नहीं करेंगे सिंचाई की व्यवस्था नहीं करेंगे
खेती की जमीन SEZ के नाम पर देते जाएंगे तो कल अनाज के लिए फिर
हमको विदेशियों से भीख मांगनी पड़ेंगी !! जैसे किसी समय अमेरिका से PL 49 के नाम से सड़ा हुआ गेहूं आता था जिसे अमेरिका मे सूअर भी नहीं खाते थे वो हम भारतीयो को खाना पड़ता था ! वो तो भाषा वो शास्त्री जी का जिनहोने इसे रुकवाया देश मे अन्न उत्पादन बढ़ाया !
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तो मित्रो देश की जनता के लिए चल रही ये सारी व्यवस्था,प्रशासन अपने ऊपर 12 लाख करोड़ रूपये खर्च कर रही और देश की आधी आबादी 62 करोड़ किसानो के लिए मात्र 11531 करोड़ रूपये वो भी कर्जा लेकर ! और वो भी 185 रूपये प्रति किसान
ये विकास हो रहा है या विनाश गंभीरता से सोचना मित्रो गंभीरता से !
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सरकार एक और बात कहती है की प्रतिवर्ष लगभग 70 हजार करोड़ की सबसिडी
किसानो के लिए केंद्र सरकार द्वारा दी जाती है !
सुनने मे कितना अच्छा लगता है किसानों को
70 हजार करोड़ की सबसिडी !
लेकिन दी कैसे जाती है वो जान लीजिये !
दरअसल सबसिडी यूरिया ,डीएपी ,जैसे जहरीले खाद और कीटनाशक बनाने वाली कंपियों को दी जाती ताकि वो किसानों को जहर सस्ते मे बेचे ,जिसे वो अपने खेतो मे डाले ,कर्जे मे दबे, खुद आत्महत्या करे बाद मे वो फल सब्जियाँ खाकर लोग बीमार पड़े ,फिर विदेशी दवा
कंपनियो को फाइदा और फिर देश की आम जनता भी मरे !
आपके ही tax का पैसा आपको मारने के लिए किसान को मारने के लिए
खर्च होता है
लेकिन ये 70 हजार करोड़ किसानों को गाय के गोबर-गौ मूत्र से खेती करने
के लिए नहीं खर्च किया जा सकता !!
गौ ह्त्या रोकना तो दूर आपके tax के पैसे से कत्लखानो को सबसिडी दी जाती है !
इससे अधिक शर्मनाक ,और नीच बात क्या होगी
ये विकास हो रहा है या विनाश गंभीरता से सोचना मित्रो गंभीरता से !
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आर्थिक सर्वेक्ष्ण की रिपोर्ट मे कहा गया है हर वर्ष 60 से 65 लाख बच्चे
ग्रेजुएशन करके निकल रहे है और 30 से 35 लाख हाई सेकेन्डरी करके निकल रहे हाई
ऐसे मे प्रति वर्ष 1 करोड़ नए रोजगार चाहिए ! जबकि इसके उल्टा 30 लाख रोजगार खत्म हो
रहे हाई ऐसे मे नए रोजगार की व्यवस्था कैसे होगी ??
पैसा कर्जे का ब्याज भरने और व्यवस्था चलाने मे खर्च हो गया हाई !!
ये विकास की तरफ हम बढ़ रहे हाई या विनाश की तरफ ??
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रक्षा बजट मे सरकार ने 5000 करोड़ और बड़ा दिये !
क्या होगा मात्र 5000 करोड़ बढ़ाने से ???
एक अग्नि 5 मिसाईल जो भारत ने बनाई है जो 5000 किलो मीटर तक मार
कर सकती है उसकी लागत 2500 करोड़ रूपये प्रति मिसाईल है !
तो सोच लीजिये 5 हजार करोड़ से साल मे गिनती की 2 मिसाईल बनेगी
वो भी तब जब 5 हजार करोड़ पूरी ईमानदारी से खर्च किया जाएगा !
ऊपर से रक्षा क्षेत्र मे 49% FDI की मंजूरी दे दी गई है
26% मनमोहन सिंह ने दी थी इनहोने बढ़ा कर 49 % कर दी !
आपकी जानाकारी के लिए कह दूँ ये 49 % FDI technology transfer मे नहीं
मात्र पूंजी निवेश आ रही है !
तो क्यों बुला रहे है विदेशियों को पूंजी निवेश के लिए ??
क्योंकि हमारे पास पूंजी नहीं है !
कहाँ गई पूंजी ??? 1 लाख 35 हजार रूपये प्रति सेकेंड को कर्जे
का ब्याज भरा जा रहा है वहाँ चली गई
12 लाख करोड़ व्यवस्था चलाने मे जा रहा है तो वहाँ चलेगी !!
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तो मित्रो देश की सरकारे तो कर्जे का ब्याज भरने और व्यवस्था चलाने मे आपके tax का सब धन खर्च कर रही है किसानो और सीमा पर खड़े जवानो को क्या मिल रहा है
आप खुद अनुमान लगा लीजिये !
ये विकास हो रहा है या विनाश फिर गंभीरता से सोचना मित्रो गंभीरता से !!
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और अंत एक और घोषणा हुई इस बजट मे !!
तंबाकू ,गुटका ,सिगरेट cold drink आदि पर tax बढ़ा दिया !
और सरकार द्वारा बोला जा रहा है की इससे नशे की खपत कम होगी !!
आप जानते है जिसे नशे की लत्त लग जाए वो घर बर्तन ,पंखा समान आदि बेच कर भी नशा करेगा चाहे जितना मर्जी महंगा कर दीजिये !
जबकि सच ये है की अगर सरकार की नियत सच मे इनकी खपत कम करने की
है तो क्योंकि नहीं इन पर पूरी तरह से प्रतिबंध ही लगा देती ??
ना रहेगा बांस और ना बजेगी बंसी !!
लेकिन सरकार को तो ये करना ही नहीं है !! असली कारण ये है की
बजट 18 लाख करोड़ का है पैसा सरकार ने लगभग 12 लाख करोड़ जुटाया !
5 -6 लाख करोड़ कर्ज लिया (जो राजकोषीय घाटा है ) अभी उसे पूरा करने या
कम करने के प्रयास मे इधर-उधर से धन जुटाने मे लगी है इसीलिए यहाँ
tax बढ़ा दिया है ! जबकि व्यवस्था चलाने का खर्च कम नहीं करेगी !!
साल मे 2 -2 बार महंगाई भत्ते बढ़ाएगी !
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मित्रो क्या आपने कभी ये खबर सुनी या पढ़ी?? की ये नेता भूख से मर गया ??
एक बात याद रखना मित्रो आजतक कोई भी नेता इस देश मे भूख से नहीं मरा है
भूख से इस देश का किसान ,जवान और आम आदमी ही मरा है !
नेता कभी भूख से नहीं मरा !
अगर ये नेता संकल्प ले ले की जब तक देश की आर्थिक हालत सुधार नहीं जाती तब
तक 3 -4 साल पगार नहीं लेंगे तो क्या आफत आ जाएगी ??
सरकारी कर्मचारी पहले से ही इतनी इतनी पगार पाते है और सरकार साल मे दो बार महंगाई भत्ता क्यों बढ़ा देती है ??
क्या महंगाई सिर्फ 3 साढ़े 3 करोड़ सरकारी कर्मचारियो के लिए ही बढ़ती है ??
120 करोड़ जनता से tax वसूल कर मात्र 2 से 3 करोड़ लोगो के लिए साल मे दो
बार महंगाई भत्ते बढ़ाना कौन सी समझदारी है ???
अगर इन सब फालतू खर्चो को कुछ वर्ष के लिए बंद कर दिया जाए ऐसा करने से इतना भला देश का हो जाएगा आप कल्पना नहीं कर सकते !बचा हुए पैसे से हम रक्षा बजट बढ़ाएँगे ,किसानो पर लगाएंगे कृषि पर लगाएंगे ,सिंचाई पर लगाएंगे !!
गौ ह्त्या को रोक कर सरकार किसानो को गोबर और गौ मूत्र से खेती करना सिखाये ! जैसे भारत मे हजारो वर्षो से की जाती है !इससे क्या लाभ होगा ?? गोबर गौ मूत्र से खेती का खर्चा लगभग शून्य ही होता है तो किसान का खर्चा कम हुआ तो उसकी आय बढ़ जाएगी !!
वो आत्मह्त्या नहीं करेगा !!
और सरकार जो 70 हजार करोड़ की सबसिडी जहर बनाने वाली कंपनियो को दे रही है
वे बच जाएगी !! वो 70 हजार करोड़ हम कहीं और खर्च करेंगे ! आपको खाने मे यूरिया DAP वाला भोजन नहीं मिलेगा तो आप बीमार कम पड़ेंगे ! बीमार कम पड़ेंगे तो दवा बनाने वाली कंपनियो को पैसा नहीं जाएगा तो वो पैसा आप किसी और कार्य मे लगाएंगे तो पूंजी की कमी नही आएगी !!
इसके अतिरिक्त आप विदेशी कंपनियो के माल जितना हो सके बहिष्कार करिए
हर साल 5500 विदेशी कंपनियाँ लाखो ,करोड़ रुपए की पूंजी देश से लूट कर अपने देश ले जाती है ! हम गरीब हो रहे है देश मे पूंजी की कमी आ रही है वो पूंजी आप बचाए !! स्वदेशी अपनाये !
देश मे बहुत ही गौशालाएँ गौ उत्पाद बनाती है जैसे साबुन ,मंजन ,दूध से क्रीम ,दूप , बर्तन साफ करने के लिए भस्म ,शेम्पू आदि आप अगर वो समान खरीदे गए तो गौ शालाए इस देश मे मजबूत होंगी !
आप फलो का रस ,गन्ने का रस पिएंगे तो पैसा विदेशी कंपनियो की जगह किसानो को जाएगा ! किसान समृद्ध होगा ! चीनी की जगह गुड़ खाएं , गुड़ से किसानो को लाभ होता है गुड़ किसान खुद बनाता है चीनी से चीनी मिलो को लाभ होता है जो की हरामखोर नेताओ की है
आप अपना पैसा देश मे चल रह विदेशी बैंको की जगह सरकारी बैंको मे रखे इस भी देश को बहुत ही लाभ होगा !
सरकार विदेशो मे जमा 220 लाख करोड़ का काला धन वापिस लाये और उससे 60 लाख करोड़ का कर्ज उतारे कर्ज उतरते ही इस देश का 1 रुपया 1 डालर बराबर हो जाएगा !!
क्योंकि जब जब आप world BANk,IMF से कर्ज मांगने जाते है आपको अपनी रुपए की
कीमत डालर की तुलना मे कम करनी पड़ती है ! और कितनी गिरानी पड़ेगी ? इसका कोई फार्मूला नहीं है World bank IMF जितना बोलता है उतना सरकार गिरा लेती है !
1947 को देश आजाद हुआ 1 रुपया 1 डालर बराबर था ! 1952 मे पहला बजट नेहरू ने कर्ज लिया और एक डालर 7 रूपये का हो गया और फिर ये सिलसिला चलता रहा और आज 1 डालर 60 रूपये का हो गया है !!
कर्ज उतरते ही 1 रुपया 1 डालर हो जाएगा इससे होगा ये जो भी चीज आप विदेशी से खरीद रहे है जिसका भुगतान (payment आप ) डालर मे करते है वो सब की सब चीजे 60 गुणा सस्ती हो जाएगी !
अर्थात पूरे भारत का कुल आयात total import ( 60 गुणा सस्ता हो जाएगा )
मान लीजिये बाहर से आयात की हुई किसी वस्तु की कीमत 20 $ डालर है
तो आज आप 1 रुपया 60 डालर के हिसाब से 20 डालर के 1200 रूपये देते है !
कल अगर 1 डालर 1 रूपये के बराबर हो जाए तो अर्थात 20 डालर 20 रूपये के बराबर
जो जाएंगे तो आपको 20 डालर के समान के लिए 20 रूपये ही देने पड़ेंगे !! 60 गुणा आयात सस्ता !
जो पट्रोल आपको 80 रूपये लीटर मिल रहा है वो आपको 1 रुपया 50 पैसे लीटर मिलेगा !!
या तो ब्राज़ील की तरह सरकार world bank ,IMF के खिलाफ बगावत कर दे की
मैं आपका कोई कर्ज वापिस नहीं दूंगा ! क्योंकि उससे ज्यादा तो मैं ब्याज दे चुका हूँ !
और मेरे देशी की मुद्रा का रेट डालर के मुक़ाबले क्या होगा ये मैं खुद तय करूंगा आप नहीं !!
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तो अंत मित्रो ये थी पूरी बजट की वास्तविकता जो आपने पूरी पढ़ी ! और इसके अतिरिक्त
देश के बारे मे और बहुत से बाते जानी इसके लिए आप सबका बहुत बहुत धन्यवाद !!
अब हम क्या करे मोदी को गलियाँ दे ??
मैं भी देता हूँ आप भी दीजिये और फिर देखा देखी कुछ और लोग भी देंगे
फिर क्या होगा एक दिन मोदी को हटाकर किसी और को ले आएंगे ?
फिर वो भी सत्ता मे आकार ये ही काम करेगा फिर उसे हटा कर किसी और को लाएँगे !
तो मित्रो ये काम तो 67 साल से देश मे चल ही रहा है बार बार हम सरकारे ही तो बदल रहे है
तो अब समय आ गया है जब हम सत्ता नहीं व्यवस्था बदले अर्थात पुराने अँग्रेजी कानूनों और गलत नीतियो को बदले ,उसकी जगह नई नीतियाँ भारत और भारतीयता के अनुसार बनाये ! इस बार सत्ता परिवर्तन नहीं व्यवस्था करना है मित्रो ! मूल समस्या नीतियो मे गलत कानूनों मे है !! अर्थात समस्या गाड़ी मे है और हम ड्राईवर बदल रहे है गाड़ी ठीक नहीं कर रहे !!
तो मित्रो व्यवस्था बदलवाने के लिए इसी पूर्ण बहुमत वाली सरकार पर दबाव बनाइये !
लोगो को मूल समस्याओ के बारे मे अवगत कर वाये !!
ये post share करे अधिक से अधिक लोगो तक पहुंचाये !
ताकि वो जागरूक हो और ये सब काम करवाने के लिए हमारे साथ ज्यादा लोग जुड़े और हम बार बार सरकार बदलने की बजाय उस पर दबाव बनाकर ही ये सब कार्य करवाएँ !!
व्यवस्था परिवर्तन करे !
वन्देमातरम !